Monday 11 December 2017

ऋषि दयानन्द जी का सत्यार्थप्रकाश में वेदोपदेश

ऋषि दयानन्द वेदमंत्रार्थ करते हुए लिखते हैं कि हे मनुष्य! जो कुछ इस संसार में जगत् है उस सब में व्याप्त होकर जो नियन्ता है वह ईश्वर कहाता है। उस से डर कर तू अन्याय से किसी के धन की आकांक्षा मत कर उस अन्याय के त्याग और न्यायाचरणरूप धर्म से अपने आत्मा से आनन्द को भोग।


एक अन्य मंत्र पर उपदेश करते हुए वह कहते हैं कि ईश्वर सब को उपदेश करता है कि हे मनुष्यो! मैं ईश्वर सब (संसार की रचना) के पूर्व विद्यमान सब जगत् का पति हूं। मैं सनातन जगत्कारण और सब धनों का विजय करनेवाला और दाता हूं। मुझ को ही सब जीव जैसे पिता को सन्तान पुकरारते हैं वैसे पुकारें। मैं सब को सुख देनेहारे जगत् के लिये नाना प्रकार के भोजनों का विभाग पालन के लिये करता हूं।

                ईश्वर कभी पराजय और मृत्यु को प्राप्त नहीं होता। ईश्वर ही संसार रूपी धन का निर्माता है। इसका उपदेश करते हुए वह कहते हैं कि मैं परमैश्वर्यवान् सूर्य के सदृश सब जगत् का प्रकाशक हूं। कभी पराजय को प्राप्त नहीं होता और कभी मृत्यु को प्राप्त होता हूं। मैं ही जगत् रूप धन का निर्माता हूं। सब जगत् की उत्पत्ति करने वाले मुझ को ही जानो। हे जीवों ! ऐश्वर्य प्राप्ति के यत्न करते हुए तुम लोग विज्ञानादि धन को मुझ से मांगो और तुम लोग मेरी मित्रता से अलग मत होओ।

                ईश्वर सत्य बोलने वाले मनुष्यों को अपना ज्ञान आदि धन देते हैं। इसका उपदेश करते हुए उन्होंने कहा है कि हे मनुष्यों! मैं सत्यभाषणरूप स्तुति करनेवाले मनुष्य को सनातन ज्ञानादि धन को देता हूं। मैं ब्रह्म अर्थात् वेद का प्रकाश करनेहारा और मुझ को वह वेद यथावत् कहता उस से सब के ज्ञान को तैं बढ़ाता, मैं सत्पुरुष का प्रेरक यज्ञ करनेहारे को फलप्रदाता और इस विश्व में जो कुछ है उस सब कार्य का बनाने और धारण करनेवाला हूं। इसलिये तुम लोग मुझ को छोड़ किसी दूसरे को मेरे स्थान में मत पूजो, मत मानो और मत जानो।

                वेद एकमात्र ऐसे ग्रन्थ हैं जो ईश्वर के रचे हुए हैं। वेदों से ही ईश्वर का सत्य स्वरूप प्राप्त होता है। महर्षि दयानन्द जी ने आर्यसमाज के तीसरे नियम में कहा कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना पढ़ाना और सुनना सुनाना सब आर्यों वा मनुष्यों का परम धर्म है। हम आशा करते हैं कि पाठक उपर्युक्त ऋषि उपदेश को लाभप्रद पायेंगे। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

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