Wednesday 27 July 2016

नई शिक्षा निति में लागू हो संस्कृत!!

यदि आप संस्कृत की दी हुई रोटी खाते हैं तो सभी सदस्यों से निवेदन इस पत्र को मानव संसाधन विकास मंत्रालय कोnep.edu@gov.in पर ईमेल करें। आप और भी कुछ जोड़ने के लिए स्वतन्त्र हैं।सुझाव भेजने की अन्तिम तिथि ३१/०७/२०१६ है।आप अपना नाम तथा हस्ताक्षर कर साधारण डाक से भी भेज सकते हैं।आज आपके पास अवसर है। आगे आने वाले २० वर्षों तक संस्कृत को सुरक्षित रखने में अपना योगदान करें। यह ऐतिहासिक क्षण है। अपनी वफादारी निभाएं।

.......प्रिय सदस्यों! नई शिक्षानीति २०१६ की कमेटी ने संस्कृत बोलने/ समझने वाले लोगों की संख्या जनगणना २००१का हवाला देखते हुए १४०००(चौदह हजार), हिन्दी बोलने वाले लोगों की संख्या ४०℅ (अड़तालीस करोड़)पूरे देश में बताकर महत्वहीन माना है तथा उचित स्थान नहीं दिया। पूरे देश में केवल ३℅ अंग्रेजी जानने वालों की सुविधा का ध्यान रखते हुए पूरे देश पर अंग्रेजी थोप दी गयी है।अंग्रेजी माध्यम और अंग्रेजी को अनिवार्य कर दिया है । अत: यह समय व्यर्थ के चुटकुलों , आराम के संदेशों का नहीं है। hrd को ईमेल करने का है। कविता,कहानी ३१ जुलाई के बाद जी भर के शेयर करना।फिलहाल जिसकी कृपा से रोटी,कपड़े, गाड़ी,मकान ,सैर-सपाटा आदि का सतत आनन्द आप,आपके बच्चे ले रहे हैं,उसके संरक्षण एवं संवर्धन को सुनिश्चत करने के लिए nep.edu@gov.in पर ईमेल करो। देश और देश की भाषाओं के प्रति वफादारी दिखाओ।
जिन सदस्यों ने संस्कृत भाषा को नई शिक्षानीति २०१६ में उचित स्थान देने के लिए सुझाव ईमेल किये हैं, उन सभी का हार्दिक आभार। अब आप अपने मित्रों से ईमेल कराने का प्रयास करें। संस्कृत विरोधी लोग लोकसभा तथा राज्यसभा में सक्रिय हो चुके हैं। आप सभी से निवेदन है कि आप अपने राजनैतिक प्रतिनिधियों के सहयोग हेतु  प्रयास शुरू करें। अब तक हम ५ सांसदों की ओर से सुझाव भिजवा चुके हैं तथा आगे भी प्रयास जारी है।
डॉ व्रजेश गौतम ,अध्यक्ष ,संस्कृत शिक्षक संघ दिल्ली
सम्पर्क सूत्र 9968812963
9868879710 डॉ दयालु (महासचिव) (दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा) 

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