Sunday 26 June 2016

विद्वान कौन है?

विद्वान शब्द विद् धातु से निष्पन्न हुआ है, जो कि ज्ञान अर्थ में प्रयुक्त होता है। सामान्य रूप में यदि हम विद्वान शब्द का अर्थ का विचार करें तो जैसे जिस व्यक्ति के पास धन होता है , उसे धनवाला या धनवान कहते है, जिसके पास बल है उसे हम बलवान कहते है। वैसे ही जिसके पास ज्ञान है उसे हम ज्ञानवाला या ज्ञानवान कहते है, उसी को दूसरे शब्द से कहे तो जिसके पास विद्या हो उसको विद्यावान व विद्वान कहा जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि जो व्यक्ति ज्ञान से युक्त होता है उसको विद्वान कह सकते है ।


कहते है एक बार एक विद्वान के खिलाफ मुकदमा चल रहा था। दार्शनिक, तर्कशास्‍त्री और कानून के विद्वानों को उस विद्वान की जांच करने के लिए बुलाया गया था। मामला संगीन था। क्‍योंकि विद्वान ने स्वीकार किया था कि वह गांव-गांव घूमकर कहता है कि तथाकथित ज्ञानी लोग अज्ञानी, अनिश्‍चय में जीने वाले, धूर्त, पाखंडी  और संभ्रमित होते है।
उस पर आरोप लगाया गया कि वह राज्‍य के विद्वानों पुरुषो का सम्‍मान नहीं कर रहा है। उनके बारे में लोगों को गलत पाठ पढ़ा रहा है| यह सब सुन 
राजा ने कहा, ‘’में तुम्हे दंड दूँ  अपनी सफाई में   तुम पहले बोलों।‘’
विद्वान ने कहा, ‘’पहले कागज और कलम ले आओ।‘’
कागज और कलम मंगवाये गये। ‘’इनमें से सात लोगों को ये दे दो और उनसे कहो कि वे सब एक सवाल का जवाब लिखें, ‘’रोटी क्‍या है?’’
उन सबने अपने-अपने कागज पर लिखा। वे कागज राजा को दिये गये और उसने उन्‍हें पढ़कर सुनाया:
पहले ने लिखारोटी एक भोजन है।
दूसरे ने लिखावह आटा और पानी है।
तीसरे ने लिखाईश्वर की भेट है।
चौथे ने लिखासींका हुआ आटा है।
पांचवें ने लिखाआप किस चीज को रोटी कहते है इस पर निर्भर है।
छठे ने लिखाएक पोषक तत्‍व।
सांतवे ने लिखाकोई नहीं जानता कि रोटी क्‍या है।
विद्वान ने कहा: हे राजन ‘’जब ये सब मिलकर यह तय नहीं कर पाये कि रोटी क्‍या है तब बाकी चीजों के बारे में निर्णय ले सकेंगे। जैसे मैं सही हूं या गलत। क्‍या आप किसी की जांच परख या मूल्‍यांकन करने का काम ऐसे लोगों को सौंप सकते है। जो एक विषय पर एक मत ना हो क्‍या अजीब नहीं है कि उस चीज के बारे में एक मत नहीं सके जिसे वे रोज खाते है। और फिर भी मुझे मुर्ख सिद्ध करने में सभी राज़ी हो एक मत हो गए। इनकी राय का आपकी नजरो क्‍या मूल्‍य है? मुझे दंड देने से पहले आप खुद सोच ले!


अब यहाँ शंका होती है कि ,समाज में, लोक में अथवा शास्त्रों में क्या विद्वान शब्द से सामान्य ज्ञान से युक्त व्यक्ति का ग्रहण किया जाता है वा नहीं ? प्रयोग होता है तो किस अर्थ में ?
सूक्ष्मतया ,निश्चयात्मक रूप में अच्छी प्रकार से जानता है उसी को उस विषय का विशेष विद्वान माना जाता है । जिन्होनें शास्त्रों को अच्छी प्रकार अध्ययन- अध्यापन किया है, और उस पठित विद्या को क्रियात्मक रूप में अपने जीवन व्यवहार में उतारा है, उन विषयों का प्रत्यक्ष अनुभव किया है ,साक्षात्कार किया है ऐसा व्यक्ति वास्तविक (तात्विक) विद्वान होता है । जिसकी आत्मा से सत्य उभरकर आता हो, जिसके अंतकरण से ही जिसका जीवन ही बोलता है जैसे कि इस विषय में उदाहरण देखना हो तो हम उपनिषद में नारद और सनत कुमार संवाद में देख सकते है । उसमें नारद जी ने स्वयं स्वीकार किया है कि हे भगवन ! मैंने अनेक शास्त्रों को पढ़ा है परंतु मैं शोकग्रस्त हूँ | मैंने सुना है कि जो तात्विक विद्वान होता है वह कभी शोक -ग्रस्त नहीं होता । मैं शाब्दिक विद्वान् हूँ तात्विक नहीं | इससे ज्ञात होता है कि केवल शास्त्रों को पढ़ लेने मात्र से व्यक्ति विद्वान नहीं कहलाता । यहाँ विद्वान का स्तर बहुत ऊँचा है।.....लेख आचार्य ऋषिदेव (दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा) 


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