जितेश गढ़िया ने
ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में ब्रिटिश भारतीय सांसद के तौर
पर शपथ ली। वह ऐसा करने वाले सबसे कम आयु के व्यक्ति हैं। वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड
कैमरन के करीबी माने जाते हैं। बता दें कि
ब्रिटिश संसद के अपर हाउस में भारतीय मूल के
लगभग 20 सांसद हैं।
इस दौरान ख़ास बात यह रही कि गढ़िया ने क्वीन एलिजाबेथ-द्वितीय के
प्रति वफादारी की शपथ भारत के प्राचीन ग्रंथ
ऋग्वेद पर हाथ रखकर ली है। माना गया है कि यह
ग्रंथ दुनिया का सबसे प्राचीन ग्रंथ है। इसका इतिहास 1500 बीसी से शुरू होता है। ब्रिटेन
की संसद में नए सदस्यों को बाइबल के अलावा दूसरे धार्मिक ग्रंथ चुनने की भी अनुमति है। हालांकि, बता दें
कि इससे पहले किसी भी ब्रिटिश भारतीय
ने ऋग्वेद पर हाथ रखकर शपथ नहीं ली थी। जितेश
गढ़िया गुजरात से संबंध रखते हैं। वह दो साल की उम्र में ब्रिटेन आए थे।
वह ब्रिटेन और भारत के बीच कुछ बड़ी इन्वेस्टमेंट में भी शामिल रह
चुके हैं। कहा जाता है कि पिछले साल जब पीएम
नरेंद्र मोदी लंदन गए थे तो गढ़िया ने ही
उनका भाषण लिखा था। उन्हें पीएम मोदी का काफी करीबी माना जाता है।
गढ़िया गुजरात
से संबंध रखते हैं। वह दो साल की उम्र में ब्रिटेन आए थे। वह
ब्रिटेन और भारत के बीच कुछ बड़ी इन्वेस्टमेंट में भी शामिल रहे हैं।
कहा जाता है कि पिछले साल जब नरेंद्र मोदी
लंदन गए थे तो जितेश ने ही उनका भाषण लिखा था।
उन्हें नरेंद्र मोदी का काफी करीबी माना जाता है।
जितेश गढ़िया यूरोप की फाइनेंश कंपनी एबीन और बारक्लेज के साथ भी काम
कर चुके हैं। कहा जाता है कि वह टाटा
स्टील की ब्रिटेन की कोरस को खरीदने में हुई
डील में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।
ब्रिटिश संसद में सांसद के रूप
में शपथ लेने के बाद जितेश ने कहा कि वह ऐसे समय
संसद में शामिल हो रहे हैं, जब ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन अपने
इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। उन्होंने
कहा कि वह फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर
के लिए भविष्य में अच्छी संभावनाएं सुनिश्चित करने में मदद करना चाहता हैं।
उन्होंने कहा कि उनका फोकस ब्रिटेन सहित अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध
मजबूत करने में योगदान देने पर भी होगा।....
आर्य समाज दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा
इस दौरान ख़ास बात यह रही कि गढ़िया ने क्वीन एलिजाबेथ-द्वितीय के प्रति वफादारी की शपथ भारत के प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद पर हाथ रखकर ली है। माना गया है कि यह ग्रंथ दुनिया का सबसे प्राचीन ग्रंथ है। इसका इतिहास 1500 बीसी से शुरू होता है। ब्रिटेन की संसद में नए सदस्यों को बाइबल के अलावा दूसरे धार्मिक ग्रंथ चुनने की भी अनुमति है। हालांकि, बता दें कि इससे पहले किसी भी ब्रिटिश भारतीय ने ऋग्वेद पर हाथ रखकर शपथ नहीं ली थी। जितेश गढ़िया गुजरात से संबंध रखते हैं। वह दो साल की उम्र में ब्रिटेन आए थे।
जितेश गढ़िया यूरोप की फाइनेंश कंपनी एबीन और बारक्लेज के साथ भी काम कर चुके हैं। कहा जाता है कि वह टाटा स्टील की ब्रिटेन की कोरस को खरीदने में हुई डील में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।
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